वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ।।
अर्थात् -
यह मंत्र भगवान श्री गणेश का अत्यंत प्रभावशाली है। इस मंत्र का अर्थ है, 'हे श्री गणेश, जो भी गलत कार्य कर रहे हैं उनका विनाश करें। आप सौ सूर्य के समान तेजस्वी हैं और विघ्नों का हरण करने वाले हैं। आज मेरे कार्यों में जो भी बाधा उत्पन्न करने का प्रयास करे, उसका सर्वनाश कर दीजिए।' इस मंत्र का नियमित रूप से उच्चारण करने से आपके कार्यों में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं।
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती |
करमूले तू गोविंदा प्रभाते कर दर्शनम् ।।
अर्थात् -
यदि आप ब्रह्म मुहूर्त में उठते हैं, तो सूर्योदय के समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। आपको सूर्य की ओर मुख करके, आंखें बंद कर, और हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी है कि आपके अग्रभाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती, और मूल भाग में विष्णु जी का निवास हो।
यह मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होता है, और इसके नियमित उच्चारण से भाग्य का उदय निश्चित होता है। इस मंत्र के माध्यम से आप एक ही समय में सुख, समृद्धि, और विद्या का वरदान मांगते हैं। इनमें से यदि एक भी वरदान प्राप्त हो जाए, तो मानो आपको सब कुछ प्राप्त हो गया।
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